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कल


कल 
कल रात इन्तजार था 
चाँद नजर ना आया 
बदली मै छुपा रहा वो 
बाहर नजर ना आया 
कल रात इन्तजार था .............

मुंडेर बैठा रहा वो 
वो प्यार नजर ना आया 
एक एक पल बीता यूँ 
पर वो यार नजर ना आया 
कल रात इन्तजार था ...............

तनहाई का मोसम था 
पर बाहार नजर ना आया 
बैठा रहा यूँ अकेले मै 
वो ऐतबार नजर ना आया 
कल रात को इन्तजार था ..............

खामोश वकत गुजरा 
पर करार नजर ना आया 
पुरी रात गुजरी यूँ ही 
पर प्यार नजर ना आया 
कल रात इन्तजार था .............

आया तो आया यही 
बस इन्तजार नजर आया 
बैठे रहा यूँ ही मै 
ना उसे ऐतबार नजर आया 
कल रात इन्तजार था .............

कल रात इन्तजार था 
चाँद नजर ना आया 
बदली मै छुपा रहा वो 
बाहर नजर ना आया 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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