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गढ़ अखबार


गढ़ अखबार 
अखबार आयी सवेरे सवेर 
खबरों णी मुख खुली तबैर तबैर
हाथ मा कखक चाय देख्याई 
कखक देखा दातों दगड बरस मंजाई 

मुख पुष्ट पर राजनीती छायी 
बाबा जी णी बोल दयाई मोंड़ा मार युं नेतों की 
एक कुर्शी बाण जाम मोरगयाई
तेर भी णी च वैक भी च ये गढ़ मेरु च 
मील सजाण मील बचाण मेरु गढ़ 

ऐनक दोसर पाना पर आई 
गीच्डी मा उफा !! ऐगयाई क्या होणों
म्यार गढ़ देश उत्तरखंड मा आज 
कखक खुन दरोडा बलात्कार बात 
अब जीन्दागाणी यख ओर दोभर वहैग्याई 

एक पान आई एक पान ग्याई पर विपदा खैरी 
म्यार गढ़ म्यार लोगों की ठस से मस णी व्हाई
जणी ऐ अखबार रोज आई रोज ग्याई भूलह 
बस म्यार विचारों बस वै बगत साथ दयाई
बाद मा मील रोजमर की जीमैदारी ही निभाई 

मेर बात णी च ये हर घरा घरा की बात च 
मेरा गढ़ मा अखबार कखक बस रेडीओ की साथ च 
अब तुमी सोच लीयां की गड़ मा कण आली वो प्रभात च
ये बात अब प्रवाशी और स्थलीय गड़वाशी कई पास च 
अखबार पडैकी बस चूल्हों मा चोलणे बात णीच 

अखबार आयी सवेरे सवेर 
खबरों णी मुख खुली तबैर तबैर
हाथ मा कखक चाय देख्याई 
कखक देखा दातों दगड बरस मंजाई 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
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