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उसी कोने मै



उसी कोने मै 

उदास बैठे रहे 
दीवारों के कोने मै 
सर को टिका कर रखा 
उस तकीया के खोले मै 
आवाज आयी दुर कंही 
किसी के रोने की 
सीस्कीयाँ आती है
अब भी उसी कोने मै ..................

तड़प ही बची है 
कुछ खरोंचों के साथ 
यादें ही बसी अब 
उन रातों के साथ 
कभी चुपके से 
वो जाता था पास 
बिखरे सपनो मै 
दै जाता वो साथ 
अब भी उसी कोने मै ..................

जलते दिये की 
ना करो अब बात 
अब भी जलता है 
उस कोने के साथ 
फैला रहा उजाला 
अंधेरे के साथ साथ 
जला जिसके लिये 
वो ही नहीं पास 
अब भी उसी कोने मै ..................

उदास बैठे रहे 
दीवारों के कोने मै 
सर को टिका कर रखा 
उस तकीया के खोले मै 
आवाज आयी दुर कंही 
किसी के रोने की 
सीस्कीयाँ आती है
अब भी उसी कोने मै ..................


बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 


बालकृष्ण डी ध्यानी

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