दुर परदेश छुं
ये छकुला बेटा मेरा
बाबा बाबा ना बोली
लगी बडुली मी थै दगडया
यकुली बैठी ना रोयी
ये छकुला बेटा मेरा.......................
दुर परदेश छुं गेल्या
अपरू जीकोडी मारीकी
आणी छे खुद यख तेरी
बाबा बोई गढ़देश की
ये छकुला बेटा मेरा.......................
दै साथ बोई का लाटु मेरु
दादा दादी की बात मान
ना कर जीकोडी उदास
कीले झुराणु छे तु पराणु
ये छकुला बेटा मेरा.......................
कभी यकुली गेल्या
अश्रुओं लागी बरसात
एक एक छमणात मा बेटा
तुम लोगों की बसी याद
ये छकुला बेटा मेरा.......................
परदेश रैण दुभारू बेटा
बस तुमरू ही यख ख्याल
खाणी पीणी बाणा गेल्या
आज छुं सात समुद्र पार
ये छकुला ये बेटा मेरा.......................
ये छकुला बेटा मेरा
बाबा बाबा ना बोली
लगी बडुली मी थै दगडया
यकुली बैठी ना रोयी
ये छकुला बेटा मेरा.......................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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