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कभी याद


कभी याद
कभी याद अगर आये मेरी 
तो तुम रोना नहीं 
किसी कोने मै बैठे 
अपने आप मै खोना नहीं 
कभी याद अगर आये …..

आखों कै आसूं को खोना नहीं 
चेहरे की हंसी को उन से धोना नहीं 
उमड़ उमड़ आ जाये गम के बादल कंही से 
उनकी की कड़कड़हट से डरना नहीं 
कभी याद अगर आये …..

अकेलेपन को मन मै धरना नहीं 
कुछ भी हो तुम हिम्मत हरना नहीं 
पर फिर भी याद अगर आ जाये मेरी प्रिये 
किसी किताब के पन्ने मै मुझे टाटोंलना नहीं 
कभी याद अगर आये …..

तस्वीर तेरी दिल मै बसी है इस तरह 
नजरों से बस तो ही तो दीखे अब हर जगह 
भीड़ मै रहो या मै अकेले मै याद आयी तेरी 
उस हंसी मन के मेले 
इस हंसी को तो खोना नहीं 
कभी याद अगर आये …..

बसता हों मै अब उस हंसी चेहरे मै 
उस दिल मै उस मन के मस्तिषक मै 
इन्हे उधास कभी करना नहीं 
दिल के तार जुडे इस दिल से 
इनको को कभी रुसवा करना नहीं 
कभी याद अगर आये …..

कभी याद अगर आये मेरी 
तो तुम रोना नहीं 
किसी कोने मै बैठे 
अपने आप मै खोना नहीं 
कभी याद अगर आये …..

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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