मोक्ष का लालच मा
कोटद्वार देहरादूंण मा
बस्युं मन मेरु अब
कखक जाण मील
ये उकाला चड़ी गढ़ तेरु
कोटद्वार देहरादूण मा ...........
कभी चा ये गढ़ मेरु
रैगै बस याद तेरु
याद कैकी कीलै रुणु
अब यखी अपरी नगरी बसाण
कोटद्वार देहरादूण मा ...........
याद ऐ भी जली त
तब चली जोंला वख
सैर सफाटा बाण ये गढ़ तेरु
दोई चार दीण ऐंजूंला यख
कोटद्वार देहरादूण मा ...........
मुंबई दिल्ली मा भी मी दुआड़ो
उडी जंद सात समुद्र पार अब तन मेरु
मया और मण को मेरु घेरु
तब तो कखक भातैक याद आन्द गढ़तेरु
कोटद्वार देहरादूण मा ...........
जावणी गै बुडापा ऐ
तब याद ऐ तो ये गढ़ मेरु
आंखी भीग जांदा
जब भी अब याद अन्द गढ़मेरु
मोक्ष का लालच मील
परती आण गढ़मेरु
कोटद्वार देहरादूण मा ...........
कोटद्वार देहरादूंण मा
बस्युं मन मेरु अब
कखक जाण मील
ये उकाला चड़ी गढ़ तेरु
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ