एक छोटे
एक छोटे हिस्से मै
बसा होआ है छुपा होआ है
ना तेरा है ना मेरा है
पर धडकता है धडकता है
लेकर तेरा नाम
एक छोटे से हिस्से मै..............
ना कुछ काम है बस
धडकता है ऐ सुबह और शाम
ना जाने कब मिलेगा इसे आराम
गलियों मै हो रहा यह बदनाम
अब तो ऐ खुले और सरैआम
एक छुटे से हिस्से मै..............
कभी सांस छु जाती है
कभी अश्क मै बह जाती है
कभी खुन साथ बहती है
कभी खुशी गम साथ लाती है
लेकिन वो धडकती रहती है
एक छुटे से हिस्से मै..............
दुवाओं का साथ देती
कभी पराया कर देती है
अपनों को रुसवा कर
कभी सपनों को सजाती है
एक छुटे से हिस्से मै..............
मन मस्तिष्क मै इसका
छया है इसका एक छत्र राज्य
धडकना ही इसका बस काम
रुका अगर जाये तो समझो
जीवन को मीले पूर्ण विराम
तो धडका धक् धक् धक्
लेकर बस तेरा ही नाम
एक छुटे से हिस्से मै..............
एक छुटे हिस्से मै
बसा होआ है छुपा होआ है
ना तेरा है ना मेरा है
पर धडकता है धडकता है
लेकर तेरा नाम
एक छुटे से हिस्से मै..............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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