देख खड़ा है
देख खड़ा है
दुर मुस्कुरा रहा है
एक पल के लिये
दुजा पल आ रहा है
देख खड़ा है
अठखेली लेते होये
वो बुला रहा है
मासुम सी सूरत अब
वो बना रहा है
देख खड़ा है
परेशान है कभी वो
कभी देख गुद-गुदारहा है
अपनी व्यथ को वो
खुद से छुपा रहा है
देख खड़ा है
संध्या का वक़त है
वो चला जारहा है
रोक कोई उसे जाकर जरा
क्यों मुझे युं लुभा रहा है
देख खड़ा है
देख खड़ा है
दुर मुस्कुरा रहा है
एक पल के लिये
दुजा पल आ रहा है
देख खड़ा है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी

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