तडपी तो होगी वो ?
आज़माईश आगो़श की
आलिंगन तडपती उस गोद की
उदास दु:खित उस कोख की
रीति ओर आचरण के प्रकोप की
आज़माईश आगो़श की............
दोपट्टे के उस कोण मै
प्रचण्ड इच्छा, लोभ, मै
आँच की ज्वाला मै जवालीत
भुर्ण कन्या इस लोक मै
आज़माईश आगो़श की ............
आफ़ात है वो दुर्भाग्य कठिनाइयां
कन्या नाम मात्र से फ़ैली रूसवाइयां
धूल भरी तेज़ हवा अंधड
खो गयी वह दर्पण की चमक
आज़माईश आगो़श की.......
तडपी तो होगी वो
स्वयं किसी तरहं सीमटी तो होगी वो
अन्त अन्तिम पडवा मै
आगो़श के उस आलिंगन को
तरसती तो होगी वो
आज़माईश आगो़श की ........
आज़माईश आगो़श की
आलिंगन तडपती उस गोद की
उदास दु:खित उस कोख की
रीति ओर आचरण के प्रकोप की
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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