क्दग गैरी!!
कंण बीत ला दीण ऐ पल छिण
खुद मा तेरी खुद मा तेरी
जींदगी व्हैगे क्दग गैरी
खुद मा तेरी खुद मा तेरी
कंण बीत ला दीण ये पल छिण
बैरी समाज बैरी लोग
जाण णा कैल अपरी खैरी
अपरा अपरा नी रहाई
जब स्वामी छुडी ग्याई
कंण बीत ला दीण ये पल छिण
खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
अँधेरी राता तो सुण बात
गेल्या सुंजड़या छे तु मेरी
तो किले बैठी छे कुल्हाण
यकुली यकुली उदासा
कंण बीत ला दीण ये पल छिण
खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
बरखा लागी छमणता
सुओंण मैना बरसाता
अखुमा मा बाहणी स्वामी
अब त ऐ भी चोमासा
कंण बीत ला दीण ये पल छिण
खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
घुघूती हिलंसा छे परदेश
बुरंस प्योंली कंण ऐ मोली
काफल किन्गोड़ भी गै खोली
बंजा पुंगडा उजड़ा ड़णड़ छोडी
कंण बीत ला दीण ये पल छिण
खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
कंण बीत ला दीण ऐ पल छिण
खुद मा तेरी खुद मा तेरी
जींदगी व्हैगे क्दग गैरी
खुद मा तेरी खुद मा तेरी
कंण बीत ला दीण ये पल छिण
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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