बाबा की डैर
बाबा जी गुस्सा देख
मी थै लगदी बड़ी डैर
बोई बोई बोल्दु मी आपरी
जीकोड़ी गेड वख खुल्दु मी
बाबा जी गुस्सा देख .................
तुम भी सुणा मेरी डैर
गढ़ देश को मी छों गेल
अब देखणा तुम ऐ चैल पैल
बाबा समण मेर छुटी रेल
बाबा जी गुस्सा देख .................
एक मी दोई भुली मेरी
वों दगडणा कभी बणी मेरी
बाबा की वा चुगालखैर
देर सबैर लगदी मेरी खैर
बाबा जी गुस्सा देख .................
कभी डाली छुप्युं मी
कभी कूल्हण मा लुक्युं मी
कभी आगील दमयु मी
कभी दोई लपट खायुं मी
बाबा जी गुस्सा देख .................
उछेदी मा मी आंकड़ा एक
पढाई मा शुन्य का ढेल
कभी णा गयाई बाबा को डैर
अब सुचणु क्या वहैगे देर
बाबा जी गुस्सा देख .................
जब हुग्युं एक नुँनु को बाप
तब ऐगे मीथै ऐगे बाबा की याद
तब जांण मील बाबा की माया
मिल सुधी बाबा थै बिसराया
बाबा जी गुस्सा देख .................
बाबा जी गुस्सा देख
मी थै लगदी बड़ी डैर
बोई बोई बोल्दु मी आपरी
जीकोड़ी गेड वख खुल्दु मी
बाबा जी गुस्सा देख .................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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