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आज मै ?


आज मै ?

आज कुछ हो राहा है
विशवास अपना खो राहा हों 
जगाये ना मुझे अब कोई भी 
बस अब मै सो राहा हों .................

तकीया को सर के नीचे लिये 
आक्रोश को आज मै आपने दबा राहा हों 
समाज के ज्वालिंत विचारों को आजा मै 
पानी के गिलास मै शांत कर राहा हों 
बस अब मै सो राहा हों ...................

दिखता नहीं कुछ भी मुझे अब यंहां 
मै ने आपनी आंखों की सोच बंद करली है 
आजाद था कभी मै खुली हवाओं मै 
उनको अब अपने सांसों मै ढोराहा हों 
बस अब मै सो राहा हों ...................

शोर था कभी अगल बगल मै मेरे 
अब बईमान अंधेरा के ही साथ हों 
उजाले से बाते करता था कभी मै 
इस छलावे के पलंग पर लेटा आज हों 
बस अब मै सो राहा हों ...................

देख मै कितना बदल गया हों 
अपने आप से अब मै इस तरहं ही छुप राहां हों 
कभी शीश उठा रहता मेरे कंधें पर 
आज क्या होआ क्यों झुख होआ है ?
क्या आप को पाता है मुझे बता ऐ
बस अब मै सो राहा हों ...................

आज कुछ हो राहा है
विशवास अपना खो राहा हों 
जगाये ना मुझे अब कोई भी 
बस अब मै सो राहा हों .................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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