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स्प्नीयुं मा!!


स्प्नीयुं मा!!

आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा 
मी थै मी सै दुर लैगै वा 
झंण क्या छुंयीं लगै वा 
मी वीं था देखदा रैगै वा 
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

कंण बिगरैली आंखी वा 
मैर ईं आंखी की दियु बत्ती वा 
इन आंखयुं से नींदी ले जांदी वा 
रात भर मी थै जग्वांदी वा
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

देखा कनुडी की बाली वा 
गाला माँ सेबा की लाली वा
घुगाराली लाटुली की डाली वा 
बड़ी शर्यमाली गेल्याणी वा 
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

गोल गोल बिंदी लगांण वा
कांच की लाला चूडी बजाण वा 
पैरो पैजण छम छम छमणाद वा
मी थै माया लोक ले जांद वा 
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

रात दोपहरी स्प्नीयुं आंदी वा
निर्दयी आंखी खुल्दी फुर वहै जांद वा 
ऐ तन मंण बौल्य्या बाणदी वा 
मी थै याकला छुडी की केले जांद वा 
आज रती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

आज रती स्प्नीयुं मा ऐ वा 
मी थै मी सै दुर लैगै वा 
झंण क्या छुंयीं लगै वा 
मी वीं था देखदा रैगै वा 
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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