मी बोली तुम थै
मी बोली तुम थै बल
तुम्लं णी जाणी पीड़ा मेरी
क्या करण अब थै बल
हो ग्या मी भंड़या खैरी
जींदगी का दुआड मा बल
कदगा पीछणे रैग्युं भुली
मील बोली तुम थै बल ......................
ऐ मेरु भग्या च बल
इणी कटणी जीमैदारी मेरी
आज भूक्युं सीयुं रात भर बल
भुओल क्या व्हालो मेरु
एक लादुडी मैर णी भुली
पञ्च पुट्गी ओर छी बल
मील बोली तुम थै बल ......................
पञ्च भीघा को पुंगडॉ मयारू
बंजा पौअडीक फुंड छी बल
एक लैंदु गुँअडो मेरु बल
दोई बछड़ो वींक भूखी बल
दिन भर ध्याड़ी कैकी भी
सौ नोट मीली तबै फुर च बल
मील बोली तुम थै बल ......................
ऐ व्यथा मैर णी यकुली की
आज का गों हर घर घर च बल
कब बदललु ऐ भग्या हमरु
गढ़ का देबता बस तेरु सरू बल
कैक अगणी हाथ फैलाणी
कोई णी अब अपरू यख
कोई णी अब अपरू यख
मील बोली तुम थै बल ......................
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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