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गीत लगा दीदा



गीत लगा दीदा


गीत लगा दे दीदा 
दामु ढोल बजदै ..............२ 
रंगमत होंया सबका सब 
दीद हम थै नचा दे 
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा 
एक दूजे हाथ पकड़ी की छोरा छोरी
कण फिरण ल्ग्यां पौडी बाजार दीदा आज .............२ 
कखक जाणु वहालु गढ़ देश .......... मेरु आज 
दीदा उन थै समझा दे गडदेश रीत सीखादै 
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ........... आहा 
कण बिगड़ी गैनी आज कल का नुँना नुँनी 
कखक गेली वहाली उंकी लाज शर्म दीदा आज ..........२ 
रामी बुहराणी जसी की कथा लगा दै दीदा 
उंको लज्जा शर्म को मार्ग बथा दै 
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा 
गढ़ देश का जवाणा तुम मान छों ई गढ़ की 
कीले ओर कखक छोडी जाण गढ़ देश दीदा आज ..........२ 
कामधणी को रास्ता खोला दै दीदा 
रोजगारी जीमैदारी दिला दै 
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा 
देहरा दूँण राजधानी गड की स्थाई राजधानी भूलों 
ऐ सीयीं सरकार थै जगा दै दीदा आज ..........२ 
गैरसैण अब राजधानी बना दै दीदा 
क्रांतीकरीयुं का सपुनीयाँ पुरु करा दै 
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा 
रीटा रीटा आज सरू गडदेश आज जी 
बावरी यूँ बोई की मनखी उदास जी दीदा आज ..........२ 
उन थै हसन दै मनखी माँ बुरंस खिला दै दीदा 
दादा बाबा जी घार मुल्क बुला दै 
दामु ढोल बजदै ....२

गीत लगा दे दीदा 
दामु ढोल बजदै ..............२ 
रंगमत होंया सबका सब 
दीद हम थै नचा दे 
दामु ढोल बजदै ....२

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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