ADD

रात की बहती नदी ...


रात की बहती नदी ...

रात की बहती नदी पर तो चल 
साँस की आती जाती कड़ी को छु कर 
उस चाँद सितारों की महफ़िल मै
आ आ तो आज मेरे संग संग चल 
रात की बहती नदी पर तो चल .......................

मध्यम माध्यम हवा के परों पर 
प्रेम के इस उड़न खटोले पर बैठकर 
ले चलों तुम्हे उस बादालों के पार 
करने मै आपने इस प्रेम का इजहार 
रात की बहती नदी पर तो चल .......................

नींद को तजकर चल सपनो के देश 
एक महल बनाये हम आपनो के देश 
जुगनु की लेकर हम टीम टिमाहट 
प्रेम की करैं हम वंहा चलो जगमगाहट 
रात की बहती नदी पर तो चल .......................

प्रेम ही प्रेम होगा प्रिये वाहं हरसू 
ये लहमै ना कटे अकेले अब तेरे बीन
तनहा अकेले अब तनहाई सी लगे 
तेरे बीन ऐ कायनात बस जुदाई लगे 
रात की बहती नदी पर तो चल .......................

रात की बहती नदी पर तो चल 
साँस की आती जाती कड़ी को छु कर 
उस चाँद सितारों की महफ़िल मै
आ आ तो आज मेरे संग संग चल 
रात की बहती नदी पर तो चल .......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ