हे विधात
हे विधात..2 कंण
भग्या बणयुच
खैरी विपदा मेरी
अब बाट हेणुच ........
ढुंगा ढुंगा तोड़ा तोडीकी
माटा मी सरणुच
सड़की तिरी बैठीकी
ध्याडी रोटी खाणुच
अब बाट हेणुच ........
दोई घसा खाणाकों
प्याज और मर्चों को
चटणी वा थिछुणी
गीचोड़ी मा ल्गाणु च
अब बाट हेणुच ........
गीचोड़ी की दोई रेघा
अख्न्युं भठेक बहणीच
उमली ऐ गरीबी की
पोट्गी सीलणी च
अब बाट हेणुच ........
हे विधात..2 कंण
भग्या बणयुच
खैरी विपदा मेरी
अब बाट हेणुच ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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