प्रेम
व्यथा मै व्यथीत होना ठीक नहीं
दुःख मै दुःख से ग्रहीत होना ठीक नहीं
प्रेम सिर्फ पाने का नाम नही
उसके खोने पर दुखी होना ठीक नहीं
जुदाई मै इस पर और निखार आये
मिलन की आरजु कुंदन सा तपये
कर्म से अपने भाग जाना ठीक नही
अपनों मुख मोड़ जाना ये ठीक नही
उजाले को खो जाना ठीक नही
अंधेरों से मुंह दिखना ठीक नही
प्रेम की सच्ची परीभाष है त्याग
अपने को त्याग देना ठीक नही
प्रेम तो बड़ा विरल होता है
उस दिल से दिल लगना ठीक नही
प्रेम अत्मा अजर अमर सदीयुं से
नश्वर शरीर से प्रेम करना ठीक नही
व्यथा मै व्यथीत होना ठीक नहीं
दुःख मै दुःख से ग्रहीत होना ठीक नहीं
प्रेम सिर्फ पाने का नाम नही
उसके खोने पर दुखी होना ठीक नहीं
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ