चिख्लाणु घाम
चिख्लाणु घाम अब बोलला
सब ठीक बोलला
मनखी अब बोलला
ठण्डु पाणी की तिस बोलला
छुटोंयों घाम अब बल बोलला
सरीर थे घिस बोलाल
चिख्लाणु घाम अब बोलला
सब ठीक बोलला
टापराणु टापा माथा को
कंणड़ पड्यां ये भागा को
रुख्याँ रुख्याँ जलश्रौता
सुख्याँ सुख्याँ कापा बोलला
पन्देरा,मंदर जब हक़ मंगाला
चिख्लाणु घाम अब बोलला
सब ठीक बोलला
जोकोडी मा उबल्दी उमाल
गालों मा भैर ऐगे ऊबाल
तंसुं होंयुं कंठ अब बेकरार
कखक लुक्युं गंगा तेरु घार
देखे तेरु निर्मल धार
चिख्लाणु घाम अब बोलला
सब ठीक बोलला
चिख्लाणु घाम अब बोलला
सब ठीक बोलला
मनखी अब बोलला
ठण्डु पाणी की तिस बोलला
छुटोंयों घाम अब बल बोलला
सरीर थे घिस बोलाल
चिख्लाणु घाम अब बोलला
सब ठीक बोलला
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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