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खोया


खोया 

नादाँन है वो 
अपने आप से अन्जान है 
बेखबर जिंदगी वंहा 
देख कितना आराम है 
नादाँन है वो ...............

खुनी पंजा बांहाँ फैलाये 
अक्समात आ टाकराये 
खोया विचारों मै कंह तो 
देख संसार यंह छुट जाये 
नादाँन है वो ...............

आंख झुठ स्वप्न सजाये 
नया नया ख़वाब दिखाये 
मन तन संग हिचकोले खाये 
देख भवसागर छुटा जाये 
नादाँन है वो ...............

संभाल जा जीवन 
गम बस गहरायेगा 
आज तेरा कल मेरा 
देख ऐ पल आये 
नादाँन है वो ...............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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