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गावोँ मै


गावोँ मै 

मेरे गावोँ मै 
और थोड़ा बाकी है 
दर्द है वो 
बस अब साथी है 

मेरे गावोँ मै 
दुर दुर चहों ओर 
दुःख की सीमा घनघोर 
आती बस कठनाईयों की भोर 

मेरे गावोँ मै 
बस इंतजार उनका 
सुख के सपनों की ओर 
विहीन मन तड़पित हर ओर

मेरे गावोँ मै 
सुखे सुखे से सब 
जल.जंगल और खेत
उपारीत करैं अनेक भैद 

मेरे गावोँ मै 
सब खाली खाली सा लगा 
घर गँवा गालीयाँ 
बस अब पराया सी लगी 

मेरे गावोँ मै 
अपने पराये से लगे
गैर अब सयाने से लगे 
अहंकार ने आडंबर खेल रचा 

मेरे गावोँ मै 
दारू की गंगा बही 
जंगलों की लंका जली 
रावण ही रावण हर ओर 

मेरे गावोँ मै 
इक्सवी शताब्दी दूर है 
आम इंसान कितना मजबुर है 
ईर्ष्या जलन तांडव दौड है 

मेरे गावोँ मै 
और थोड़ा बाकी है 
दर्द है वो 
बस अब साथी है 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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