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"मूल्य दर्पण"


"मूल्य दर्पण" 

बस एक आस थी 
बड़ा बनने की प्यास थी 
बस वो एक चाह थी 
वो ही बस पास थी 
बस एक आस थी .................

उदासी ही उदासी 
पल अब वो साथ थी 
एक चाह आस के पहले 
वो अब भी साथ थी 
बस एक आस थी .................

भुत ओर भविष्य 
वर्तमान को झंझोर रहा था 
भुत नाकामी टटोल रहा था 
भविष्य बस खोज रहा था 
बस एक आस थी .................

मूल्य का दर्पण 
बस खोया खोया यंहा 
आत्मा आस चाह के मध्य 
मै अब भी सोया यंहा 
बस एक आस थी .................

बस एक आस थी 
बड़ा बनने की प्यास थी 
बस वो एक चाह थी 
वो ही बस पास थी 
बस एक आस थी .................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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