बादलों से छन छनकर
बादलों से छन छनकर ..२
बूंद गिरी जब इस तन पर
झंकार बजी इस दिल पर..२
बादलों से छन छनकर
मेघ गरजे इस नभ पर .. २
गमनी चमकी उस जल पर
आयी धरा पर यौवन चल ..२
बादलों से छन छनकर
प्रीत की ऐसी वो नार ...२
चल रही अंग ठुम ठुमकर
बूंदों वो इस अंग लिपटकर ..२
बादलों से छन छनकर
छु रही वो उस अधर पर..२
हाथ पकड उस ओर चल
बीत ना जाये ऐ पल कल..२
बादलों से छन छनकर
बादलों से छन छनकर ..२
बूंद गिरी जब इस तन पर
झंकार बजी इस दिल पर..२
बादलों से छन छनकर
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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