कंण बदलीगै भुल्हा
टैकरों को पाणी होंयुं
नलकों को पाणी गयुं
कंण बदलीगै भुल्हा
तिसा मेरा गढ़
तिसा ऐ दूँण..२
कंण च ऐ अस्थाई
राजधनी देहरा दूँण
पाणी बिजली हैरान
घोड़ा गाडी बेहाल
कंण बदलीगै भुल्हा
तिसा मेरा गढ़
तिसा ऐ दूँण..२
य्खुली य्खुली
सी देखुणु छे तो
गढ़ छुडीकी यख
दूँण जब तो ऐ
यख ऐ की क्या तो पै
कंण बदलीगै भुल्हा
तिसा मेरा गढ़
तिसा ऐ दूँण..२
गढ़ मा तो अपरू लगे तो
भैर ऐकी परायु व्हैगे
गढ़ बोली भुलगे भुल्हा तो
माटु अपरू ही छलीगै
कंण कै की खेती होण
जब तो यख ऐगै
कंण बदलीगै भुल्हा
तिसा मेरा गढ़
तिसा ऐ दूँण..२
भैर ऐता ऐता तेरी
चाल ढल सब बदलीगै
सीदु सादु होण छे कभी तो
चक्रारधरी अब तो बणीगै
चक्रचाल तेरा देखता
अब तो सब हर्चीगै
कंण बदलीगै भुल्हा
तिसा मेरा गढ़
तिसा ऐ दूँण..२
टैकरों को पाणी होंयुं
नलकों को पाणी गयुं
कंण बदलीगै भुल्हा
तिसा मेरा गढ़
तिसा ऐ दूँण..२
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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