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एक बार तो


एक बार तो 

एक बार मै खिल जाओं
बाग़ मे जरा लहलाह जाओं 
खुशबु को बिखराओं जरा 
झूम लों अब इस बहार मे जरा 
कली को फुल बन ने दों
ना तोडा इस तरंह बाग़ से मुझे 
एक बार तो ....................

गर्भ मे सोयी हों मै
सुख सपनों मे खोने दो 
आने वाले समय के पहले
ना तुम मुझ को मरने दो 
बेटी जान मस्तिक पर 
चिंताओं को अब तज ने दो 
एक बार तो ....................

नया विश्व है नया सवेर 
जग देखा मैने अलबेला 
कन्या हों मै बाल कुंवारी 
कूड़े मै ना डालो अब मुरारी 
तुछ भावना अब बदलने दो 
नारी को भी अब जगने दो 
एक बार तो ....................

इन्द्रधनुष के सात रंग 
सात जन्मों का अपना संग 
दहेज़ के आगा मै ना जलने दो 
पति परमेश्वर मुझे सभालने दो 
सात वचनों को पुरा करने दो 
सुह्गन हों मै मेरी माँगा सजने दो 
एक बार तो ....................

एक बार मै खिल जाओं
बाग़ मे जरा लहलाह जाओं 
खुशबु को बिखराओं जरा 
झूम लों अब इस बहार मे जरा 
कली को फुल बन ने दों
ना तोडा इस तरंह बाग़ से मुझे 
एक बार तो ....................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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