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कंहा ऐसा होता


कंहा ऐसा होता 

देखा कंहा ऐसा होता 
सुख से कोइ कंहा रोता है 
दुःख हो दिल में तो 
वो कैसे यंहा हंसता है 
देखा कंहा ऐसा होता ...................

सीने मे जलन या पहाड़ जलता है 
पहड़ों बस यंहा दर्द बहता है 
रुक रुक कर पीछे मोड़ता है 
बीता पल उस पर घूरता है 
देखा कंहा ऐसा होता ...................

अकेला ही वो देख चलता रहा 
बुढी आँखों से बस वो तकता रहा 
वीरना पड़ा गुलशन सा रोता रहा 
सब कुछ खोया सा उसको लगता रहा 
देखा कंहा ऐसा होता ...................

बैठी थी स्वप्न संजाया नैनों में 
सजना तेरी ही आस लगाये गहनों में 
टूट टूटकर चूर होयी इस तरंह वो 
अब आवाज भी नहीं आती रोने की 
देखा कंहा ऐसा होता ...................

बच्चों की किलकारी गूंजती है 
बाबा की बस गूंज यंहा पर गूंजती है 
तरसती रहती वो छुटी सी ऊँगली 
बस उस हथेली को ढुंडती है 
देखा कंहा ऐसा होता ...................

देखा कंहा ऐसा होता 
सुख से कोइ कंहा रोता है 
दुःख हो दिल में तो 
वो कैसे यंहा हंसता है 
देखा कंहा ऐसा होता ...................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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