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माँ गंगा चली स्वर्ग लोक


माँ गंगा चली स्वर्ग लोक 

अब भी लगता है कुछ बदलेगा
पवन सिंधु को क्या अब उसे हर लेगा
गंगा चीख रही है पुकार के 
क्या मानव अब उसको तज देगा 
या फिर से वो उसको डस लेगा 
अब भी लगता है कुछ बदलेगा...............

निर्मल जल धारा मुक्ता था किनार 
उतरी थी स्वर्ग से ले शिव जाटा का सहरा 
भगीरथ तप ने दिया धरती पर उतारा 
उत्तराखंड से जब निकली वो मोक्ष की धारा 
पापियों ने निज पाप बहा मैला कर डाला 
अब भी लगता है कुछ बदलेगा................

स्वच्छा कर तन जप अपने मन 
गंगा को छल होआ दूषित जल 
नेता और बाहुबली सब संग दल 
भाषण प्रेम बोल गंगा करेंगे निर्मल
ठेखा दे ठेखादरों से ऐंठ बस धन 
अब भी लगता है कुछ बदलेगा..............

आस्था को कब तक ठेस लगेगी 
कब तक भक्त दिल से बस आहीत होंगें 
आंसूं की दो बूंद लुढका कर आगे चल देंगें
या फिर कोई भगीरथ आयेगा यंहा 
फिर से माँ गंगा स्वर्ग वो ले जायेगा 
अब भी लगता है कुछ बदलेगा..............

अब भी लगता है कुछ बदलेगा
पवन सिंधु को क्या अब उसे हर लेगा
गंगा चीख रही है पुकार के 
क्या मानव अब उसको तज देगा 
या फिर से वो उसको डस लेगा 
अब भी लगता है कुछ बदलेगा...............

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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