याद थी
याद थी अब याद बनकर रह गयी
साथ थी वो साथ देकर चली गयी
याद थी ......२
पिछली बार वो मुलकात वो साथ थी
वो दिन वो वो शाम वो चांदनी रातों की बात थी
निकली वंहा वादों की वो बारात थी
याद थी ......२
अब तक साथ है वो याद है वो गुजरा समा
तुडकर सितारों को लाना यों जमीं पर मेरा
इठलाकर हौले से वो मुस्कुराना तेरा
याद थी ......२
पल पल धडकता है आँखों मै अब भी वो चेहरा
उदासी या खुशी मे ना रहा वो कभी मुझसे जुदा
अकेला छुड उस ओर वो कंहा चला
याद थी ......२
याद थी अब याद बनकर रह गयी
साथ थी वो साथ देकर चली गयी
याद थी ......२
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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