बचपन
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता
मन मेरे तन किसे खोजता आज
बचपन औ बचपन भुलाये नही भुलता .....
छोटी से मन की
बड़ी सी उमंग पकड़ने दौडे तन
गिलास आधा भरा पानी सा
छल छल छलता रहता
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
यादों का वो दर्पण
छुट वो पल हर पल पल
बैठ किसी दिल कोने मै आज
बना वो मेरा अब प्रतिबिम्ब
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
रेत हाथों से फिसली
सर से तो भी तू निकली थी
बनके एक वो पहेली
वक्त की थी बस वो सहेली
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता बचपन औ बचपन
भुलाये नही भुलता
मन मेरे तन किसे खोजता आज
बचपन औ बचपन भुलाये नही भुलता .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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