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किले रूशी ऐ ...


किले रूशी ऐ ...

सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 
कै कूल्हण लुकी ऐ 
क्या च ....तेर छुपायूँ...तू किले छुपी ऐ 
सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 

चल छोड़ हठ ऐ ....२ 
बोल्युं मान मेरु ऐ 
ईणी जीकुडी दुखै...तू झट दोउडी ऐ 
सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 

ईणी पैलणी रुशे ऐ ...२
मै पास कुछ ना लुके ऐ 
क्या व्हाई तीथै.... तू बोल गीचोडी ऐ 
सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 

ताप व्हागे मुंडेरु ऐ ..२ 
मन मेरु घबरेगै
रुवाली ना कै मै थै ..तू अब मान जा ऐ 
सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 

ना जणू ते छोडी की ऐ 
अब हम दगडी और गाढवाला ऐ 
साथ रोंला छुची...तू ओर मी ऐ 
सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 

सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 
कै कूल्हण लुकी ऐ 
क्या च ....तेर छुपायूँ...तू किले छुपी ऐ 
सुधी सुधी रूशी ऐ .....२ 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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