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अपरच बिसरी


अपरच बिसरी 

सिवा सौँळी बिसर जा 
हाय हेल्लो कु बातच 
जै राम जी की भै ! क्या हाल छन 
विदेशी भुल्हा अब भुली सब 
ठीक क्ख्क च अब सब फाईन च 

समनैन की छुंयीं ना लगा 
अब सब टैम सवेर ब्युखन रात 
मा अग्ने बस अब गुड लगा 
मिसरी सी अब घुलू जलु 
गढ़वाली भुल्हा घूमी जालो 
ठीक क्ख्क च सब फाईन च 

आशीर्वचन अब हर्ची क्ख्क 
ब्लेस यू ब्लेस यु की बात चा 
कुर्ता सुलार टोपला चुलैदै 
जींस टी-शर्ट हैट कु रिवाजचा 
देबता को नाव भी बदली 
ओह माय गोड गीच मा दिन रात चा 
ठीक क्ख्क च सब फाईन च 

गढ़वाली कंन बणली भासा 
मेरु भुल्हा ही जब अंग्रेज चा 
गढ़वाली बिंगो भी नी रै अब 
बुलणो वैल क्या ख़ाक चा 
सदनी की व्यथा वेदना च 
गढ़ देश थै आल द बेस्ट चा 
ठीक क्ख्क च सब फाईन च 

सिवा सौँळी बिसर जा 
हाय हेल्लो कु बातच 
जै राम जी की भै ! क्या हाल छन 
विदेशी भुल्हा अब भुली सब 
ठीक क्ख्क च अब सब फाईन च 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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