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प्रेम म्यारू


प्रेम म्यारू 

त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 
भोरों बणीकी प्रेम गीत गाई 
पुतल आंखयूँ का तिल किले संकाई 
मी त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 

रुंदु छुं ना हस्दु छों 
कै बाटा कै डेरा मी बस्दु 
तेरी माया की मोहनी चडी गयाई
प्रेम को सुरा चडी ग्याई 
त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 

दिखकी की णी देखा मीथे 
चूची गालू मा तू किले हैसी ग्याई 
तेरु नखरा मेरा दिल लुछी गयाई 
त्यारू पिछने पिछने मी आई
त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 

ग्येलाणु दागडी छुंयीं लगा की 
चुरा आँखों से कीथे तू खोज्यणी 
मीथै लगणु क्या तिल मी बोल्याई 
मयारू जीकोडी धक् धक् कै गयाई 
त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 

त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 
भोरों बणीकी प्रेम गीत गाई 
पुतल आंखयूँ का तिल किले संकाई 
मी त्यारा प्रेम मा जोगी बाणी ग्याई 
अलख प्रेम की ज्योत मील अब जगाई 

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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