मेर मन मन्दिर
इंसान ही हूँ मै इंसान रहने दो
पहले इंसान का फर्ज तू अदा करने दो
भगवान के चरण में मुझे पड़े रहने दो
दिन दुखियों की सेवा तो करने दो
मेर मन मन्दिर सेवा उनकी पूजा
उस का हक़ तो पूरा करने दो
इस कया पर ऋण है उस ऋण तो चुकने दो
उस पथ पर मुझे पहला कदम बड़ने दो
इस पिंजरे को साफ़ करने दो
मैला खुद ही किया है मैंने खुद को
उनके आंसूं से पूछकर इस तन को
उस गंगा जल में पावन होने दो
भूके को दो रोटी खिला कर
मेरे प्रभु को मेरे बनाये भोग का सुख लेने दो
इंसान ही हूँ मै इंसान रहने दो
पहले इंसान का फर्ज तू अदा करने दो
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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