हिट्ले दी
हिट्ले दी दगडया सरा सरी ज़ोंला
पंतेद्र भतेक पाणी सरी ऊँला
पाणी उन्तुं च्यूं बाबाजी तिस मिटोला
रुलों मा जाकी दोई डाणी हिन्शोलों की टीपी ऊँला
हिट्ले दी दगडया सरा सरी ज़ोंला
पंतेद्र भतेक पाणी सरी ऊँला
उंदुर का बाटा मा भागी भागी ज़ोंला
उकालों ऐदा वकत बैठी बैठी ऊँला
हिट्ले दी दगडया सरा सरी ज़ोंला
पंतेद्र भतेक पाणी सरी ऊँला
मेरा गड्देशा कु ठंडो मीठू पाणी
पाणी गाला मा जांद ही तिस बोझे जंद
हिट्ले दी दगडया सरा सरी ज़ोंला
पंतेद्र भतेक पाणी सरी ऊँला
चल दोउडी की रूमका पडी घर आण
णी तर बोई को कब्लाहट शरू जंद
हिट्ले दी दगडया सरा सरी ज़ोंला
पंतेद्र भतेक पाणी सरी ऊँला
हिट्ले दी दगडया सरा सरी ज़ोंला
पंतेद्र भतेक पाणी सरी ऊँला
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ