ADD

फिर


फिर

देख आज फिर से दिल धडका 
कोई कोना फिर धीरे चटका 
अहसास जगे फिर इस दिल में 
किसी की सूरत फिर आँखों में भटकी
फिर की तो बात है फिर ही तो साथ है 
फिर मेरे अब तो बोल दे 
फिर क्या तेरा साथ है 
फिर क्या तेरा हल है 
फिर बस फिर अपने तक ही सीमित है 
साथ मेरे चला मेरा फिर आप का भी ?

आकश की उंचाई से अनजान है फिर 
दिल की गहराई से परेशान है फिर
रहता यंह वंह बिखरा पडा फिर 
फिरता रहता है गुलशन ओर विरानो में फिर 
अपने और परायों मै भी है ऐ फिर
आगाज ओर अंत के साथ है फिर 
मेरी हर बात मेरा हर साथ है फिर 
अपने से ना निकल रहा ऐ फिर
साथ मेरे चला मेरा फिर आप का भी ?

फिर की बात जो मेरे साथ है या आपके भी साथ है
हरदम अनदेखे और अनदेखी रहा है फिर 
होती नही कोई शुरुवात ना कोई अपने से बात फिर 
फिर भी रहता है फिर आस पास 
लो कर लो अब तुम्हरी बात 
लग रहा है मुझे अब जग गया है 
तुम्हरा फिर अब तुम्हरे साथ है 
तो करो फिर से इस सवेरा की शुरवात 
साथ मेरे चला मेरा फिर आप का भी ?
एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ