ना भुला
मीथै भूल जावा
कोई बात णी..२
तुम थै ना भूलो दैलो दीदो
आपरू गढ़देश हे उत्तराखंड
सदनी रिंगण राला वा
यख वख भटकाण राला वा ..२
अग्ने पिछने आलो
आपरू गढ़देश हे उत्तराखंड
पाणी पीता याद आली वा
ठंडी ठंडी तिस बुझली वा ...२
तांबा बटा याद दिला तुम थै
आपरू गढ़देश हे उत्तराखंड
छुंयी बणकी निघाली वा
तेरी गीची दिन रात आली वा
खुदेडा की निघी एक रेघ
आपरू गढ़देश हे उत्तराखंड
प्रवासी उत्तरखंडी भुल्हों
जख भी रयाँ राजी खुशी रयां
आंसूं खुदा का चुल दियां
आपरू गढ़देश हे उत्तराखंड
मीथै भूल जावा
कोई बात णी..२
तुम थै ना भूलो दैलो दीदो
आपरू गढ़देश हे उत्तराखंड
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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