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सोच बदलनी होगी


सोच बदलनी होगी 

परिवर्तन ही संसार है 
हर चीज पल पल बदलती है 
पर तू क्यों नही बदलती 

एक एक चीज यंहा बिकती है 
जो तेरे आँखों को खलती है
पर तू क्यों नही बदलती 

कल आ रहा है कल के लिये 
जी उस बस पल के लिये 
पर तू क्यों नही बदलती 

मटकी टूटते ही राख है तू 
अग्नी पर ही अब साथ है तू 
पर तू क्यों नही बदलती 

जगदम्बिका है तू माँ भैरवी 
माँ ,पत्नी ,तू ही बेटी है यंहा 
पर तू क्यों नही बदलती 

दर्द समेटे आंचल सदियों से 
बार बार हंसकर क्यों ओढ़े तू 
पर तू क्यों नही बदलती 

नारी तू सिद्धि दात्री
अखंड है तू जीवन-सुख-दात्री
पर तू क्यों नही बदलती 

परिवर्तन ही संसार है 
हर चीज पल पल बदलती है 
पर तू क्यों नही बदलती 

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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