ADD

आज की प्रेम कहनी


आज की प्रेम कहनी

दिल में छुपा रखा था वो मै दिखा रहा हूँ आज 
नैनों से प्यार की भाषा चलती थी कभी अब हाथों से जता रहा हूँ आज 
क्या सीख था मैने क्या सिखा रहा हूँ आज

दर्द था इतना मुझे कुछ इस तरह उसे अपना बना रहा हूँ आज 
कुछ सिक्के इधर तो मै कुछ सिक्के उधर उछाल रहा हूँ आज 
दिल में छुपा रखा था वो मै दिखा रहा हूँ आज

बदल गया हूँ मै कुछ इस तरह तुम कुछ बदल गयी हो आज 
जो कभी ढंका हुआ था कुछ इस तरह क्यों खुला हुआ है आज 
क्या सीख था मैने क्या सिखा रहा हूँ आज

आने दो आने की तरह गुम है वो प्रेम एक दूजे वाला आज 
सांसों कि रफ़्तार की तरह चढ़ता उतरता कलयुगी प्रेम बुखार आज
दिल में छुपा रखा था वो मै दिखा रहा हूँ आज

कवी दिल सोचता है कँहा खो गई वो प्रेम की बहार आज 
पतझड़ मै भी जिसके आने से कभी आ जाती वो बसंत बहार 
क्या सीख था मैने क्या सिखा रहा हूँ आज

दिल में छुपा रखा था वो मै दिखा रहा हूँ आज 
नैनों से प्यार की भाषा चलती थी कभी अब हाथों से जता रहो आज 
क्या सीख था मैने क्या सिखा रहा हूँ आज

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ