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परदेश मा भी तेरु साथ


परदेश मा भी तेरु साथ 

जब छुंयीं लगी तेर ऐ परदेशा मा 
मेरा गढ़ देश मेरा माय देशा 
आंखी मेरी तू किलॆ भोर जांदी 
टप टपरण लागी जिकोड़ी तू किले खुदणी 
जब छुंयीं लगी तेर ऐ परदेशा मा 
मेरा गढ़ देश मेरा माय देशा 

बडुली ऐगै सँकी मा रैबार ऐगे घुगती मा 
कंण च्ख्लात होगै आज मेरा साथा 
कू याद कंण वहालो कू आज मी थै
कैन भैजी यक्दा दूर भातेक वो साथ 
जिकोड़ी णी समझे जिकोड़ी को छाबलाहाट 
जब छुंयीं लगी तेर ऐ परदेशा मा 
मेरा गढ़ देश मेरा माय देशा 

याद दिलान्दी रै तेर माया मॆथै बुल्न्दे रै 
ऐ परदेश मा तू मेरा देश तू धै लगन्दी रै 
माय मॆथै बोगी कैंदी लाटा बणाकी रुलान्दी 
सीण जगी मा तेरा क्नाडू तै ध्यै सुनादी रै 
मयारू मना की वो आवाज क्ख्क भतेक आंदी रै 
जब छुंयीं लगी तेर ऐ परदेशा मा 
मेरा गढ़ देश मेरा माय देशा 

जब छुंयीं लगी तेर ऐ परदेशा मा 
मेरा गढ़ देश मेरा माय देशा 
आंखी मेरी तू किलॆ भोर जांदी 
टप टपरण लागी जिकोड़ी तू किले खुदणी 
जब छुंयीं लगी तेर ऐ परदेशा मा 
मेरा गढ़ देश मेरा माय देशा 

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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