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वो दर्द


वो दर्द 

दर्द मेरा 
मै खुद ही ढ़ोता हूँ 
अपनी हालत में हो .....अ 
यूँ ही अकेले रोता हूँ 
दर्द मेरा 
मै खुद ही ढ़ोता हूँ 

आंसूं पसीजते नही 
वो दुःख को सींचते है 
ये दुःख भी आम है 
अब ख़ास नही होता 

दर्द मेरा 
मै खोकर पाता हूँ 
अकेले में जाकर मै हो ....अ 
होता आधा हूँ 
दर्द मेरा 
मै खुद ही ढ़ोंहता हूँ 

अंधेरों में 
साये मेरे साथी हैं 
उजलों में वे भी 
कँहा वो मेरे बड़भागी हैं 

दर्द मेरा 
बस यूँ ही टूटता रहा 
आपनों का साथ भी हो ....अ 
अब छुटता रहा 
दर्द मेरा 
मै खुद ही ढ़ोता हूँ 

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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