ईनी जी
ईनी जी नी भी अब दुखो ..२
ऐली जाली खैली जाली बल कलीयू
कफाल पाकी चैत का मैना जी ...२
सुधी मीसै बल पाकी बारा मासा
गीत का मोड़ छंन जी कै घारा जोड़ छंन ..२
बंजा पडा धरा यख शैर का दोउड छंन
कुदगली लगाली जी जिकोदी हराली जी ...२
मैत सस्रोसा बीच क्ख्क बाटा खोजाती जी
दिन डंडा को काम चा बल सैती धाम चा ..२
घसैरी गीता दगड़ी जी सैलू को घाम चा
ऐ भी जाला बगत जी चली भी जला सुरक ...२
खैरी कु दरक विपदा चरक कब पैडी जाला जी
लगी रलूं यकुली जी तुम वख भी यकुला जी..२
सड़की तुम जी एक छोर दूजो मेरु छोर जी
ईनी जी नी भी अब दुखो ..२
ऐली जाली खैली जाली बल कलीयू
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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