अब भी
अजब साथ वो
अजब वो बात थी
जिंदगी में जब
तुम मेरे साथ थी
जाने के बाद तेरे ऐ दोस्तों
इस कलम से शुरवात की
वो अब भी पास है
वो अब भी साथ है
हर बात मै उसकी ही बात है
खाली पन्ना में उसका ही साथ है
उसका कलम बन चलना
आसूं कभी तो कभी उसका हँसना
इस कलम से शुरवात की
वो अब भी पास है
वो अब भी साथ है
कभी गीत बन जाना
मुझे प्रीत सीखा जाना
गजल की बाँहों में चलकर
मुझसे मुझे दूर कंही ले जाना
इस कलम से शुरवात की
वो अब भी पास है
वो अब भी साथ है
छंदों में वो तेरा उभरकर आना
कविता सा वो तेरा मुस्काना
अर्ज कर दिल को लुट जाना
ठहाकों ने हास्य बाण चलना
इस कलम से शुरवात की
वो अब भी पास है
वो अब भी साथ है
गर भुल हो तू भूल जाना
यदा कदा ही तुम गुनगुनाना
मै लिखता हूँ लिखता जाऊँगा
मन भावों में तुम को सिमेटता जाऊंगा
इस कलम से शुरवात की
वो अब भी पास है
वो अब भी साथ है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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