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बस खोना है यंहा..............


बस खोना है यंहा..............

जिसे मिटने का डर होगा 
वो ही अपने घर बैठ होगा
सुखी लकड़ी को अब उसे 
जलने का क्या भय होगा 
गीली लकड़ी को जलने से 
पहले थोडा और तपना होगा 
जीवन खोना है और थोड़ा खोना है 

पथ पथ बड़ा कदम तू चला 
एक दिशा है वो निर्धारित
सब कुछ है उसके अधारित 
शून्या है आया शून्या है जाना 
कर्म का एक बेल लगना है 
बांध मुठी आना खुले जाना 
जीवन खोना है और थोड़ा खोना है 

देखा आगे पथ पर प्रकाशा है
पीछे मत मोड़ा गहरा अंधकार है 
गर तू मोड़ा पीछे क्या पायेगा 
आगे बड़ा एक नया पल आयेगा
भोर तेरी होगी फिर देर सबैर सही 
जब वो दर जायेगा क्या ले जायेगा 
जीवन खोना है और थोड़ा खोना है 

जलना है तुझे अब जल जायेगा 
रखा तेरी देखकर तब तुझे समझ आयेगा 
एक झोखा हवा का हों उड़ा जायेगा
उस पल तेरे हाथ कुछ ना आयेगा 
तुझे एक मंजिल छोड़ दूजे मंजिल जान होगा 
वंहा भी तुझे पाने ज्यादा खोना होगा 
जीवन खोना है और थोड़ा खोना है 

जिसे मिटने का डर होगा 
वो ही अपने घर बैठ होगा
सुखी लकड़ी को अब उसे 
जलने का क्या भय होगा 
गीली लकड़ी को जलने से 
पहले थोडा और तपना होगा 
जीवन खोना है और थोड़ा खोना है 

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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