गंगा बोगी की गै कै
कंन छयूँ च दिन राती कू उमाल अ ..
कंन म्च्युं च ऐ पहाडा मा उबाल अ...
बलबलणु लग्युं मन कू गुअब्बार अ .
कोई नी च एको खैर खबर दार अ ..
अहम होग्या यख अब पहरेदार अ ...
टाक्कों पिछने छिपेगे रीती रिवाज अ..
कोई नी खडयूँ अब यख अपरो पार अ ..
बच्यां छन जो वोंकी जामा मार अ ...
रीटा रीटा मनख्यूं का अब वो द्वार अ ...
रीटा होग्या मेरु सारु अब पहाडा अ ...
सीमेंट माटा मा पहाडी अब हार अ ...
देवभूमी गंगा बोगी कैगै दूर कै घार अ....
कंन छयूँ च दिन राती कू उमाल अ ..
कंन म्च्युं च ऐ पहाडा मा उबाल अ...
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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