ह्युंद
ह्युंद कू गूंद
चिप चिपेली धुंद
चौमास बूंद
गिर गीरी सूंण
ठिथ्रणू जडू
हाथ का होंयाँ लडू
तप तपेली दूध
चूल्हों की गूंज
लक्डों का चर र र
धुंयें की धुंण सूंघ
गरम् चै का सुरका
गुड धेली का चूरका
माटा कू वो कूड़ा
खटेली व रजै दूरका
बेटी ब्वारी दुख्दा
कोई नी सुन्दा कोई नी सुन्दा
ह्युंद कू गूंद
चिप चिपेली धुंद
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ