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मन का घोल च


मन का घोल च

ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों
शैर-गामा आज भटकयूँ छों
ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों

छोर-शोर मा सटक्यूँ छों
अपरा घोल मा अटक्यों छों
ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों

पड़-पड़ेकी की यख लटक्यूँ छों
खटुल -असमाने दगडी लड़दी रों
ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों

सुप्नीय भी ऐ पर भैर का ऐ
ऐ माटू मा भी मी बस उडदी रयुं
ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों

हरची खर्ची मी देखेणू यख
टक्का सस्ती क्ख्क कामेणू वख
ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों

ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों
शैर-गामा आज भटकयूँ छों
ब्याल भोळ हम हरच्यूं छों

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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