कंण भाणु मिलगे
रजै रजै मीथै उबै
रात दिन खटली तुडै
दिन कंन भी कटे जलो
ब्रांडी चम्चु ऐ तांसुं राता घूले
रजै रजै मीथै उबै
रात दिन खटली तुडै ................
कंन भाणु बाणुचा
चम्चु चम्चु कैकी तणुचा
ब्रांडी बोतल जब खुले
कुछ नी बचे दीदा कुछ नी बचे
रजै रजै मीथै उबै
रात दिन खटली तुडै ................
ह्युंद अब येडो चा
दारू का नाश चडायूँ चा
गर गर गर गरठा जडू कू
गढ़ भैणी गर गर दारू की बथा
रजै रजै मीथै उबै
रात दिन खटली तुडै ................
कंण भाणु मिलगे
अब रात दिन भूलीगै
मस्त च मस्त राम अब
अब कू ह्युंद अब कू हिवाळ
बस अब घुटी ही घुटी
वहैगे कम कजा की छुट्टी
रजै रजै मीथै उबै
रात दिन खटली तुडै ................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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