त्यारू रूप हे रूपा
रूप की रूप देखी की रूपा
त्यारु रूप की रूप देखी की ... हे रूपा
मीथै प्रेम कू सारू मीलगे
ऐ जिंदगी जीणा कू भाणू मीलगे
रूप की रूप देखी रूपा .............
तेर नजर मेर नजर दगडी मीले
जिकोडी मेरी ...हो हो २ बुरंस जणी खिले
लाल लाल सेबा की दाणी दिखे
नारंगी की रसली सी तू स्याणी दिखे
रूप की रूप देखी की रूपा
त्यारु रूप की रूप देखी की ... हे रूपा
मीथै प्रेम कू भाणू मीलगे
ऐ जिंदगी जीणा कू सारू मीलगे
रूप की रूप देखी रूपा .............
तेरु हिटण हो तेरु बोलण
जमै ऐ जिकोडी मा ..२ हो हो मेरु प्रेम की डाली जमै
मयारू मन दिन रात त्यार दगडी हीटे
वो बाटों मा चालणा कू मै सारु मिलगे
रूप की रूप देखी की रूपा
त्यारु रूप की रूप देखी की ... हे रूपा
मीथै प्रेम कू सारू मीलगे
ऐ जिंदगी जीणा कू भाणू मीलगे
रूप की रूप देखी रूपा .............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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