मै पहाड़ी हूँ
जब भी मै मुहं खोलों
गड़ देश तेरी बात मै बोलों
जब भी मै मुहं खोलों
इन मुक्त फिजाओं में
तेरे साथ हे देवभूमी बस मै डोलों
जब भी मै मुहं खोलों
पांच देबता मेरे पांच प्रयाग हैं मेरे
मै भी पांच तत्वों से बना हूँ
जब भी मै मुहं खोलों
मै पहाड़ी हूँ टूटकर भी
मै आपने निशान ना छोड़ों
जब भी मै मुहं खोलों
देशप्रेम मेरा मात प्रेम से बढकर
आपनी देशभूमी पर शत शत शीश चडाऊँ
जब भी मै मुहं खोलों
भोली भाली है फितरत मेरी
सीधा साधा मेरा चाल चलन
जब भी मै मुहं खोलों
अखंड रहे मेरी भूमी अखंड रहे ये आसमान
सदा रहे दिल में तिरंगे का मान
जब भी मै मुहं खोलों
साथ रहे अखंड मेरा उत्तराखंड
और मेरा ये पहाड़ हाँ मै पहाड़ी हूँ
जब भी मै मुहं खोलों
जब भी मै मुहं खोलों
गड़ देश तेरी बात मै बोलों
जब भी मै मुहं खोलों
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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