सुखा दरकत
सुखा दरकत हूँ
गिर सा मै जाऊँगा
पेड़ से अचानक यूँ ही
मै छुट सा जाऊँगा
सुखा दरकत हूँ ............
कभी मै भी हराभरा था
अपने पर फूलों फलों से लदा था
खुशी से मै भी भरा था
दुःख से थोड़ा दूर खड़ा था
सुखा दरकत हूँ ............
समय बीतता गया
दिल पसीजता गया
एक अपना रूठ ता रहा
सारी उम्र मनाने गुजरी
सुखा दरकत हूँ ............
उम्र के दराज दरकत
खोलने को आज बेकरार
संजोया था जो घोसला
आज उड़ने को तैयार है
सुखा दरकत हूँ ............
सुखा दरकत हूँ
गिर सा मै जाऊँगा
पेड़ से अचानक यूँ ही
मै छुट सा जाऊँगा
सुखा दरकत हूँ .........
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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